सोमवार, 19 नवंबर 2018

Know how valuable your vote

जानिए कितना बहुमूल्य है आपका वोट

संजीव खुदशाह
भारत के ग्रामीण मतदाताओं में वोट के प्रति जागरूकता शहरी मतदाताओं के वनिस्पत कुछ ज्यादा होती है। आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत ज्यादा होता है और शहर के क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम होता है। इसके कुछ कारण है, शहरी मतदाता पढ़ा लिखा सक्षम होने के बावजूद कुछ भ्रम पाले हुए रहता है। जिसके कारण वह वोट डालने नहीं जाता है आइए जाने वह कौन कौन सी वजह है।
2 उसे यह भ्रम होता है कि- मैंने अगर वोट नहीं दिया तो क्या होगा ? सभी लोग वोट देंगे मेरे एक वोट से कुछ होने जाने वाला नहीं है।
3 कई बार उसकी सोच रहती है कि - उस दिन डिसाइड करेंगे वोट देना है या नहीं। समय मिला तो वोट देंगे नहीं मिला तो नहीं देंगे। आलस्य के भावना।
4 कुछ उल्‍झन का बहाना होता है जैसे- मुझे मालूम नहीं है कहां पर वोट देने जाना है। मतदाता सूची में मेरा नाम है या नहीं?

5 कभी वह अहंकारी हो जाता है सोचता है कि - वोट देने चला भी जाऊंगा तो मेरे जैसा व्यक्ति जिंदगी में कभी भी लाइन में खड़ा नहीं हुआ है। मैं लाइन में क्यों खड़े हो ऊंगा।
6 संकोच करता है - मुझे किससे पूछना है कि मेरा मतदान केंद्र कहां पर है। सूची में कहां पर मेरा नाम है। इसके संकोच के कारण शहरी लोग वोट देने नहीं जा पाते हैं।
जबकि मतदान संबंधी पूरी जानकारी चुनाव आयुक्‍त द्वारा इस वेबसाइट में मुहैया कराई गई है कोई भी व्‍यक्ति अपने नाम मतदान केन्‍द्र वोटर आई डी की जानकारी आसानी से ले सकता है1
पूरे देश के किसी भी राज्‍य के लिए https://eci.nic.in/eci_main1/Linkto_erollpdf.aspx,
इन तमाम कारणों से वह वोट देने नहीं जाता है। और फिर बाकी के 5 साल कोसता रहता है अपने ही प्रतिनिधियों को, कि वह फलां काम नहीं करते हैं। उन्होंने यह काम गलत किया है। और ऐसा होना चाहिए था। गलत आदमी चुना गया। जबकि वह स्‍वयं वोट न देकर अपनी जिम्‍मदारी नही निभाता है।
राजनीतिक पार्टी शहरी मतदाताओं को प्रेरित करने में उदासीनता
ज्यादातर ऐसा माना जाता है कि शहरी पढ़ा लिखा मतदाता अपने विवेक और ज्ञान का प्रयोग करके मत दान देते हैं। और किसी भी लालच जैसे दारू साड़ी कपड़ा आदि में ना आकर विवेक के आधार पर वोट देना पसंद करते हैं। इस कारण राजनीतिक पार्टियां शहरी मतदाताओं को वोट डालने के लिए ज्यादा प्रेरित नहीं करती है। क्योंकि ग्रामीण मतदाताओं के वनिस्पत शहरी मतदाताओं के पास उम्मीदवारों के संबंध में ज्यादा जानकारी होती है।
शहरी मतदाताओं में अवेयरनेस जागरूकता की कमी
ज्यादातर यह माना जाता है कि शहरी मतदाता जागरूक होता है। लेकिन सोशल मामलों में या कहें मतदान के मामलों में शहरी मतदाताओं में अवेयरनेस की कमी होती है। ज्यादातर पॉश इलाकों में मतदान का प्रतिशत बेहद कम होता है, जहां पर बुद्धिमान और रसूख वाले लोग बसते हैं। वहीं दूसरी ओर शहर के ही स्लम और झुग्गी झोपड़ी वाले एरिया में मतदान का प्रतिशत अधिक होता है।
चुनाव आयुक्‍त जागरूकता मुहिम
चुनाव आयुक्‍त के द्वारा मतदान के प्रति मतदाता की रूची बढाने के लिए विज्ञापन फलैक्‍स नुक्‍कड नाटक रैली का प्रयोग किया जा रहा है, और मतदान हेतु प्रेरीत करने में कोई कसर नही छोड़ी जा रही  है।
आपका एक वोट क्या क्या कर सकता है
कुछ मतदाता यह समझते हैं कि उनके एक वोट देने नहीं देने से क्या फर्क पड़ेगा। दरअसल उनका एक वोट जितने उम्मीदवार खड़े हैं। उन सभी को प्रभावित करता है। मान लीजिए 15 उम्मीदवार हैं। तो आपका एक वोट जिसे आप दे रहे हैं उसे आगे बढ़ाए गा और इतनी ही संख्या में वोट बाकी  उम्मीदवारों से कम हो जाएंगे। क्‍योकि वोट की संख्‍या निश्चित होती है।
आपने अपना वोट नहीं दिया तो क्या होगा
यदि आपने अपना वोट नहीं दिया है तो एक गलत उम्मीदवार चुना जा सकता है। एक अच्छा उम्मीदवार चुनने से महरूम हो सकता है। योग्‍य उम्‍मीदवार आपकी समस्‍याओं को समझ सकता है, जनहीत के मुद्दो को शासन के समक्ष उठा सकता है। वहीं यदि कोई भ्रष्‍ट उम्‍मीदवार विजयी होता है तो वह जन विरोधी  कार्य करेगा, जनता को आपस में लड़वायेगा, दंगे करवायेगा, जनता द्वारा जमा किये टैक्‍स के पैसे का दुरुपयोग करेगा, अपन घर भरेगा। यदि आप अपना वोट नोटा को भी देते हैं तो भी यह संदेश जाता है कि मौजूदा उम्मीदवारों में से कोई भी आपको पसंद नहीं है। लोकतंत्र में आपको हर प्रकार से अपनी बात को रखने का मौका मिलता है और वोटिंग या चुनाव प्रथा लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करती है। भारत का लोकतांत्रिक इतिहास इस बात का गवाह है कि जब जब पढ़ा-लिखा और समझदार मतदाता मत डालने के लिए भारी संख्या में निकलता है तो लोकतंत्र में अप्रत्याशित परिणाम आते हैं। आईये हम भारत के एक एक मतदाता यह सुनिश्चि‍त करे की वे अपना वोट जरूर दे और भारतीय लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करे।     

       



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