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शुक्रवार, 26 मई 2017

अंधविश्वासी महिलाओं की गोद भरता बाबा

अंधविश्वासी  महिलाओं की गोद भरता बाबा
•        संजीव खुदशाह 
विगत दिनो लखनऊ के करीब बाराबंकी में एक संत बाबा परमांनंद उर्फ राम शंकर तिवारी उम्र लगभग 65 वर्ष सुर्खियों मे है। उन पर आरोप है की उसने महिलाओं की गोद भरने की आड़ में बलात्कार किया और उनकी सेक्स वीडियो बनाया। ये भेद न खुलता यदि उसका लेपटाप खराब न होता। कम्पयूटर इंजीनियर ने जब लैपटॉप सुधारने के दौरान उस वीडियो क्लिप को देखा तो हैरान रह गया। उसमे करिब 200 महिलओं के साथ सेक्स वीडियो थे। उसने कुछेक वीडियो को सोशल साईट पर अपलोड कर दिया। इसके बाद हल्ला  मचा और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। सोशल मीडिया मे तैर रहे इन तमाम वीडियो मे से कुछ वीडियो को देखने के बाद मन विचलित हो जाता है और मन सोचने के लिए मजबूर होता है कि हमारा जन समुदाय किस ओर जा रहा है। हमारी शिक्षा का क्या औचित्य है?

गौरतलब है कि बाबा परमानंद संतान प्राप्ति सुख देने के लिए विख्यात है खास कर पुत्र प्राप्ति हेतु। दावा है कि वैदिक रीति से

तंत्रमंत्र की साधना करते है। कई केन्द्रीय और राज्य  के मंत्री  उनके मुरीद है। उनके आश्रम (अय्याशगाह) में लगी इन हस्तियो के साथ तस्वीर को देखने से उनके राजनीतिक और समाजिक हैसियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन वीडियो को देखने से कही से भी ये नही लगता की यह कोई बलात्कार है, ऐसे ही एक वीडियो में एक युवती अपने अद्योवस्त्र उतारा रही है और बाबा परमानंद के अंत:वस्त्र उतारने में मदद कर रही है। बाबा लेटे हुये है युवती मुख मैथुन कर रही है। तत्पश्चात बाबा उसे बाकी वस्त्र  भी उतारने का इशारा करते है वह बिना संकोच शेष वस्त्र  भी उतार देती है। गौर तलब है की इसी दरमियान भजन गायन की ध्वनी सुनाई पड़ रही है। महसूस होता है की दूसरे कमरे मे काफी लोग भजन गा रहे है और बीच बीच मे देवी देवताओं, बाबा परमानंद की जय के नारे भी  लगा रहे है। इसी बीच बाबा युवती को अपने उपर आने का इशारा करते है उसके नाज़ुक अंगो को छेड़ते है बाद में बाबा युवती के उपर आ जाता है। करीब 24 मिनट के इस वीडियो में मैथुन पश्चात बाबा खड़ा हो जाता है युवती उसे उसके अंत:वस्त्र पहनने के लिए देती है और अपने अंत:वस्त्र पहनती है। बताना चाहूंगा की महिला के वस्त्र  पहनने के दौरान लेटा हुआ बाबा उसके नाजुक अंगो मे, सिर व चहरे पर लात फेर रहा है। मानो वह कोई पालतु जानवर हो। आश्रम का वह कमरा जहां यह स्केण्डल हो रहा है निहायत ही छोटा है देवी देवताओं की तस्वीर और धार्मिक किताबों से अटा पड़ा है। किताबों के बीच लगे सी सी टीवी कैमरे से ये सब सूट किया जा रहा था। यह सब विस्‍तार से बताने का मकसद यह है की वीडियो में कोई जोर जबरदस्‍ती नही है, जैसा की प्रचारित किया जा रहा है। 
अन्य  वीडियो मे भी इसी प्रकार की प्रक्रिया नजर आती है। महिला बदल जाती है कभी सलवार सूट मे तो कभी साड़ी मे। ये वीडियो इस लिए विचलित कर देने वाला है क्योकि बाबा परमानंद के साथ सेक्स  कर रही महिलाएं कोर्इ सेक्स वर्कर नही है, आम उच्‍च  मध्यम परिवार की है। बावजूद इसके वे इसका विरोध नही कर रही है इस लिहाज से बाबा आरोपी बिल्कुल भी नही क्योकि कानून, सहमती के साथ किये गये संबंध की इज़ाजत देता है। 
यह सब ऐसे देश मे हो रहा है जहां महिलाएं घर से बाहर अकेले नही  निकलती। कोई अगर घूर कर देख भी ले तो लोग मरने माने को उतारू हो जाते है। निश्चय ही बाबा के आश्रम में आने के लिए उस महिला ने अपनी मां, बहन, भाई, सास, ननद, पति, देवर, देवरानी, जेठानी का सहारा लिया होगा। यानि उस दौरान जब वो बाबा के साथ समागम कर रही होगी तब निहायत ही करीबी रिश्तेदार बगल के कमरे में बाबा परमानंद की जय के नारे लगा रहा होगा या भजन में लीन रहा होगा। 
यह तो तय है की ये घटना पहली नही है नही ये घटना आखरी है। क्योकि जबतक धर्म के लिए अंधभक्ति रहेगी। तब तक आशाराम, परमानंद, नित्या नंद जैसे लोग अपनी इच्छा तृप्ती करते रहेगे। गौर तलब है की ये समस्या किसी विशेष धर्म तक सीमित नही है धर्म के ठेकेदार किसी न किसी रूप से अपने भक्तो  का शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक शोषण करते रहते है। 
क्यो होता है ऐसा?
ऐसे समय जब पाश्चात्य विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है। एक ओर भारत मे ही 70 वर्ष की महिला को चिकित्सा  विज्ञान के सहारे संतान सुख प्राप्त होने के उदाहरण मौजूद है। वहीं दूसरी ओर एक मर्द को भी बच्चे जन्म  देने का मौका मिल चुका है। ऐसी स्थिति में भारत में आये दिन ऐसी खबरे आना दुखद है। भारत का जनमानस अंधविश्वास से उबर नही पा रहा है। प्रशासन को इस पर गहराई के विचार करना होगा। हमे यह सोचने पर महबूर होना होगा की हमारी शिक्षा का क्या औचित्य है? क्या हम धार्मिक अंधविश्वास के तले आधुनिक शिक्षा को रौद रहे है? संत बाबा परमानंद से समागम करती ये महिलाएं खूबसूरत है संभ्रात परिवार की लगती है। निश्चिय ही वे पढ़ी लिखी होगी उनका परिवार भी शिक्षित होगा। तो फिर उस परिवार ने कैसे संतान प्राप्ती के लिए झाड़ फूक यज्ञ हेतु अपनी महिलाओं को सौप दिया। 
पहलू और भी है 

ऐसे देश पर जहां महिलाओं पर अत्यंत रोक टोक की जाती है उन्हे महिनो चाहर दिवारी मे कैद रखा जाता हे वही दूसरी ओर ऐसे आश्रमो में जाने की खुली छूट रहती है। भारत में आज भी संतान के लिए महिलाओं को जिम्मेदार माना जाता है, नि:संतान होने पर तरह तरह से जलील किया जाता है। यातनाएं दी जाती है। पारिवारिक, समाजिक तानो से उसका जीवन नर्क बना दिया जाता है। इन वीडियो को देखने से लगता है कि इन नरक भरी ज़िन्दगी से उबरने के लिए यदि किसी महिला को ये सब करना पड़ रहा हो, तो शायद इतना बुरा  नही है। जिना समझा जाता रहा है क्योकि ऐसा करने के लिए उसी के परिवार ने, समाज ने मजूबर किया है।