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शनिवार, 28 जुलाई 2012

कौन कहता है ? यहां पत्थर भी पूजे जाते है

कौन कहता है ? यहां पत्थर भी पूजे जाते है,  

संजीव खुदशाह

कौन कहता है ? कि हम विश्व शांति के प्रतिक है,
       
यदि ऐसा है, तो हममे इतनी अशांति क्यू है ?

कौन कहता है ? कि यहां लोक तंत्र है,
       
यदि ऐसा है, तो लोक शाहो का आचरण भ्रष्ट क्यूं है ?

कौन कहता है ? यहां संविधान का आदर होता है,
       
यदि ऐसा है, तो अपराधी कुर्सी पर क्यूं हैं ?

कौन कहता है ? कि यहां सर्वधर्म सम भाव है ,
       
यदि ऐसा है, तो धर्मान्तरण पर आपत्ति क्यूं है ?

कौन कहता है ? कि यहां भी लोग शिक्षित है ,
       
यदि ऐसा है, तो जिसकी लाठी भैस उसी की क्यूं है ?

कौन कहता है ? कि देश जहां को रास्ता दिखायेगा,
       
यदि ऐसा है, तो ये अपने रास्ते से भटका क्यू है ?

कौन कहता है ? कि यहां ज्ञानी पुरूष रहते है ,
       
यदि ऐसा है, तो मूखों का शासन क्यू है ?

कौन कहता है ? यह महात्माओं का देश है ,
       
यदि ऐसा है, तो आपस में जातिय घृणा क्यूं है ?

तहसील बटा हम खुश हुए, जिला बटा हम खुश हुए,
       
प्रदेश बटा हम खुश हुए, देश बटने में हमें दुख क्यूं है ?

कौन कहता है ? कि मंदिर बनाने का सपना देती है देवी मां,
       
यदि ऐसा है, तो किसी बेबस की आबरू लुटने की खबर लेती क्यू नही है ?

कौन कहता है ? कि हस्ती मिटती नही हमारी ,
       
यदि ऐसा है, तो ये हस्ती इतनी बेआबरू क्यूं है ?

कौन कहता है ? कि शौर्य से भरा इतिहास है हमारा ,
       
यदि ऐसा है, तो बार बार लुटवाने का इतिहास क्यूं है ?

हम जानते है कि क्या, है औकात हमारी,
       
फिर हम इतना खुदी पे फिदा क्यूं है ?

कौन कहता है ? यहां पत्थर भी पूजे जाते है,
       
यदि ऐसा है, तो यहां, इन्सान अछूत क्यूं है