गुरुवार, 4 जुलाई 2024

My Shri Lanka Tour - Sanjeev Khudshah

 श्रीलंका के यादगार लम्‍हे

संजीव खुदशाह

बुद्ध जयंती के अवसर पर मुझे श्रीलंका को काफी करीब से जानने समझने का मौका मिला। श्रीलंका में कैसी जीवन चर्या है? लोग वहां कैसे रहते हैं? कैसा व्यवहार करते हैं? और बुद्ध धर्म का प्रचार वहां पर किस तरह से किया गया और वे बुद्ध धर्म को किस प्रकार से मानते हैं? ये सब जानना मेरे लिए किसी कौतूहल से कम न था ।

Loin Rock shrilanka

श्रीलंका पर बात शुरू करने से पहले मैं श्रीलंका के बारे में कुछ आधारभूत तथ्‍यों को बताना चाहूंगा। श्रीलंका एक पुरातन देश है इसका प्राचीन नाम सिंहल द्वि‍प है कुछ बरस पहले इसे सिलोन के आधिकारिक नाम से पुकारा जाता था। बाद में 1972 से इसे श्रीलंका अधिकारिक नाम से जाना जाने लगा। श्रीलंका की आबादी 2 करोड़ 21 लाख है यहां पर 80% लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। कुछ तमिल हिंदू, मुसलमान और ईसाई भी हैं। अनुराधापुरम श्रीलंका की प्राचीन राजधानी है। उसके बाद कैंडी कुछ समय तक राजधानी रही है। वर्तमान में कोलंबो श्रीलंका की राजधानी है। ऐतिहासिक रूप से अनुराधापुरम का बड़ा महत्व है भारत से लाया गया बोधी वृक्ष यहां मौजूद है। यहां पर भगवान बुद्ध की अस्थियां भी रखी गई है। श्रीलंका की ये खास बात यह है कि महिला पुरुष के अनुपात में महिलाएं ज्यादा है यानी 100 महिला में 92.12 पुरुष।


आकृति 1 Mahabodhi Tree shrilanka
श्रीलंका की प्राचीन नगरी अनुराधापुरम पर्यटन के लिहाज से महत्‍वपूर्ण है जिसमें महाबोधि वृक्ष, थुपा स्तूप, अभय गिरी स्तूप का दर्शन किया जा सकता है । यहां पर यह जानकर आश्चर्य हुआ कि गया में स्थित महाबोधि वृक्ष से भी पुराना यहां का महाबोधि वृक्ष है। बताया जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा के माध्यम से गया के महाबोधि वृक्ष की शाखा यहां भेजी थी। ईशा से लगभग 300 वर्ष पूर्व। जो कि आज भी यहां पर मौजूद है। क्योंकि श्रीलंका में बौद्ध धर्म को मानने वाले बड़ी संख्या में है। इसीलिए इस वृक्ष को बहुत ही संभालकर रखा गया है। चारों ओर लोहे और ईंट के बाड़े से बोधि वृक्ष को घेरा गया है, एक सोने के स्तंभ से वृक्ष की शाखा को स्पर्श किया गया है। लोग इस स्तंभ को छूकर बोधि वृक्ष को स्पर्श करने का एहसास करते हैं।


आकृति 1 Mahabodhi Tree shrilanka

आकृति 2 Thuparam Stup

आकृति 2 Thuparam Stup

थूपाराम स्तूप- सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र के यहां आने पर 247 ईसा पूर्व श्रीलंका के राजा देवनामपिया तिस्सा के द्वारा बनाया गया। यह श्रीलंका में सबसे पुराना स्तूप है। इस स्तूप में भगवान बुद्ध के दाहिने कंधे  की अस्थि रखा गया है। इसलिए इसका महत्‍व ज्‍यादा है।

आकृति 3 Abhayagiri stup shrilanka

आकृति 3 Abhayagiri stup shrilanka

अभय गिरी स्तूप- श्रीलंका के अनुराधापुरम में अभय गिरी स्तूप की स्थापना राजा वलागम्बा ने अपने शासन के दौरान 89 से 77 ईसा पूर्व में की थी। महावम्श के अनुसार अभय गिरी विहार नाम की उत्पत्ति राजा वट्टागमनी अभय और जैन भिक्षु गिरी के नाम से हुई है जो पहले मठ में रहते थे।

आकृति 4 Dambul Cave

आकृति 4 Dambul Cave

अलुविहारे रॉक गुफा मंदिर - मटाले इसे दांबुला गुफा मंदिर भी कहते है।  यहां पर भारत में स्थित अजंता एंलोरा की गुफाओं की तरह पहाड़ पर गुफाओं की श्रृंखला है। जो की दर्शनिय है । खास बात यह है कि गुफा बनने के बाद से इसका रख रखाव किया जा रहा है। इसलिए इसकी पेंटिंग, बनावट, कलाकृति अब भी नई सी लगती है। जैसे अजंता ऐलोरा को भारत में एक समय भुला दिया गया बाद में फिर खोजा गया। यहा श्रीलंका में ऐसा नही है। इन गुफाओं में बौध्‍द भीक्षु अब भी रहते है और ध्‍यान साधना करते है।

आकृति 5 Golden bhudha temple

आकृति 5 Golden bhudha temple

गोल्डन बुद्धा टेंपल - श्रीलंका की इन प्राचीन गुफाओं के पास ही गोल्‍डन टेंपल है जिस पर बुद्ध की विशाल प्रतिमा है। यह टेम्‍पल ध्‍यान एवं पूजा का केन्‍द्र तो है ही साथ में इसमें ऐतिहासिक महत्‍व की चीजे रखी गई । यहां एक म्‍युजियम भी है। जो की देखने लायक है।

आकृति 6 Dant Vihar

आकृति 6 Dant Vihar

बुद्धा दंत विहार - पवित्र दंत अवशेष का मंदिर, श्रीलंका के शहर कैंडी में स्थित एक बौद्ध मंदिर है। कैंडी की पूर्व राजशाही के शाही महल परिसर में स्थित इस मंदिर में महात्मा बुद्ध के दांत रखे गये हैं। प्राचीन काल से ही इन पवित्र अवशेषों ने स्थानीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि यह माना जाता है कि यह अवशेष जिसके भी पास होते हैं वही इस देश पर शासन करता है। कैंडी श्रीलंका के राजाओं की अंतिम राजधानी थी और मुख्य रूप से इस मंदिर की वजह से यूनेस्को द्वारा इसे एक विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।

श्रीलंका में चाय बगान का महत्‍व- श्रीलंका में चाय का बगान के पीछे ऐतिहासिक कहानी है। अंग्रेजो ने जब 1815 में श्रीलंका पर कब्‍जा किया तो पहले पहल चाय के बगान बनाये और इस हेतु उन्‍होने मजदूर तमिल नाडु से मगांये । इस तरह यहां पर चाय की खेती शुरू हुई। दुनिया के बड़े ब्रांड की चाय यहां तैयार होती है।

श्रीलंका इन दिनों आर्थिक विघटन से निकलने का प्रयास कर रहा है। इस कारण भारतीय ₹100 श्रीलंका में जाकर 340 श्रीलंका रुपए हो जाते हैं। श्रीलंका का अपना रेल सिस्‍टम है । लेकिन ये सब अब भी पुराने जमाने जैसा है।  तकनीक के मामले में हमारा देश भारत कही आगे है। बसे और दूसरे वाहन भारत से ही इंपोर्ट किए जाते हैं। पेट्रोल पर भी श्रीलंका हमारे भारत पर निर्भर है। जापान और चीन भी श्रीलंका के विकास के लिए सहयोग कर रहे है। भारत में जिस प्रकार श्रीलंका को राम रावण युद्ध या रावण के निवास स्थान के रूप में देखा जाता है। यहां के निवासियों से बातचीत के दौरान ज्ञात हुआ कि श्रीलंका के निवासी राम और रावण से बिल्कुल अनभिज्ञ है। कुछ वर्ष पूर्व श्रीलंका में माता सीता का एक मंदिर बनाया गया है। श्रीलंका में एक और चीज बड़ी प्रसिद्ध है वह है आदम का पैर। कई लोग इसे बुद्ध के पैरों का चिन्ह भी कहते हैं। यह भी बुद्ध विहार का हिस्सा है।

श्रीलंका में बहुत सारी ऐसी चीजे हैं जो की हमेशा याद की जायेगी। जैसे यहां के लोगों की शालीनता। वह शांत रहते है आपस में भी बहुत कम बातचीत करते हैं और श्रीलंका के सड़क, बाजार बिल्कुल स्वच्छ है। क्योंकि यहां के लोग कचरा सड़कों पर नहीं फेंकते । लोग डस्‍टबीन का प्रयोग करते है।  बौद्ध विहारों में साफ सफाई बौद्ध भिक्षु ही करते हुए देखे जाते हैं। श्रीलंका के निवासियों के बीच बौध्‍द भिक्षुओं का बहुत सम्मान है। कुछ बड़े शहर जैसे कैंडी और कोलंबो को छोड़ दें तो श्रीलंका में ट्रैफिक सिग्नल नहीं है। लेकिन लोगों में ट्रैफिक सेंस इतना ज्यादा है कि सड़कों पर हार्न का प्रयोग नहीं करना पड़ता । ज़ेबरा क्रॉसिंग में यदि एक व्यक्ति भी गुजर रहा हो, तो सारे वाहन रुक जाते हैं। यह अनुशासन भारत में बिरले ही देखने को मिलता है। भूमध्य रेखा


में होने के कारण श्रीलंका में मानसून बहुत जल्दी आ जाता है और खूब बारिश होती है। इस कारण पूरे श्रीलंका में हरियाली छाई हुई है। यहां के लोगों का नैन नक्श दक्षिण भारतीयों की तरह है। लेकिन यहां की मुख्य भाषा सिंहली है। भारत यथा संभव श्रीलंका को मदद करता है। संस्‍कृति और भूगोल के हिसाब से श्रीलंका भारत का छोटा भाई की तरह है। ऐतिहासिक रूप से श्रीलंका और हमारे देश के बीच पुराने संबंध है। आशा है समय के साथ साथ यह संबंध और प्रगाढ़ होगा।

Publish On Navbharat 16/06/2024

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